dhaniya ki kheti kaise kare
धनिया की फसल किसी भी मिट्टी में उगाई जा सकती है।धनिया (Coriander) की खेती भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल जैसे राज्यों में की जाती है। धनिया मसाले और सब्जियों की एक महत्वपूर्ण रबी मौसम की फसल है।धनिया की पत्तियां विटामिन ए और विटामिन सी से भरपूर होती हैं। इसीलिए धनिये का पाउडर, सूखे बीज के साथ-साथ ताजे पत्ते व्यापक रूप से धनिया की चटनी, धनिये का पानी के साथ-साथ विभिन्न खाना पकाने में उपयोग किए जाते हैं।
धनिया के लिए अनुकूल आबोहवा
रबी मौसम में धनिया की खेती जाती है। धनिया की फसल को सूखा और ठंडा वातावरण अनुकूल रहता है। भारी बारिश और अत्यधिक बादल मौसम में धनिया की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। वसंत और शरद ऋतु में भी हरी पत्तिया अच्छी तरह से विकसित नहीं होती है।
धनिया फसल के लिए अनुकूल जमीन
किसी भी प्रकार की जमीन में धनिया की खेती की जाती है। धन्य की फसल सिंचित और बिन सिंचित दोनों रूप में की जाती है। धनिये की फसल पियत रूप से पूर्ण सेंद्रिय तत्व वाली जमीन में ली जा सकती है। अगर बिन सिंचित रूप से धनिये की फसल को लेना है तो ज्यादा नमीं वाली काली जमीन को पसंद करना चाहिए। क्षारवाली और रेतीली जमीन धनिया के लिए अनुकूल नहीं है।
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जमीन की तैयारी कैसे करे
धनिया की फसल मुखयव रूप से सुखी और बिन सिंचित वाली जमीन में बोई जाती है। बारिश के बाद जमीन को नमी से बचाना के लिए ज्यादा गहरी जुताई करनी चाहिए। बारिश की मौसम में और रबी मौसम में जमीन को पूर्व फसल की खपतवार करके जमीन को हलकी जुताई करनी चाहिए। सिंचित फसल के लिए अगर जमीन में भेज काम लगे तो बुवाई से पहले एकबार सिंचाई करनी चाहिए। धनिया फसल की बुआई के समय जमींन अच्छी तरह से भरी होनी चाहिए तभी फसल का अच्छा विकास हो पायेगा।
धनिये के बीज
धनिया की नई विकसित किस्में इस प्रकार हैं:
- गुजरात धनिये – 1, गुजरात धनिया -2, सीओ 1, सीओ 2, सीओ 3, राजेंद्र स्वाति, स्वाति, साधना, आरसीआर- 41
धनिया फसल की बिजाई कब करे
धनिया मूल रूप से भारत और आंध्र प्रदेश के उत्तर और मध्य भागों में रबी सीजन की फसल के रूप में उगाया जाता है। बुवाई या बुवाई अक्टूबर के मध्य और नवंबर के मध्य में की जाती है। उपर्युक्त राज्यों के कुछ क्षेत्रों में यह देर से खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है, और इसके रोपण का मौसम अगस्त और सितंबर के बीच आता है।
बीज में अंतर
धनिये की दो पंक्तियों के बिच 30 से.मि. और धनिये के दो पौधों के बीच 10 से 15 से.मि की दुरी रखनी चाहिए।
धनिये को सिंचाई कैसे करे
फसल की बुआई के 3 दिन बाद पहली सिंचाई दी जाती है। इसके बाद, मिट्टी में उपलब्ध मिट्टी की नमी के आधार पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर धनिये की फसल को सिंचाई की जाती है।
निराई
बुवाई के 30 दिनों के बाद, पहले कुदाल और निराई की जाती है। पत्तियां एक साथ कम हो जाती हैं, जिससे प्रति केवल दो पौधे निकलते हैं। विकास के आधार पर एक या दो अधिक निराई की जाती है।
खाद और उर्वरक
अंतिम तैयारी के समय लगभग 10 टन खेत की खाद को लगाया जाता है। इसके अलावा, रासायनिक खाद और नाइट्रोजन दो से तीन बार फसल की कटाई के बाद देना चाहिए।
धनिया फसल की कटाई
धनिये की फसल सामान्य रूप से लगभग 90 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है जो कि किस्मों और बढ़ते मौसम के आधार पर होती है। कटाई को एक बार माना जाना चाहिए जब फसल पूरी तरह से पक जाएं और रंग को हरे से भूरे रंग में बदल दें। कटाई की प्रक्रिया में पौधों को काट दिया जाता है और उन्हें खेत में छोटे-छोटे ढेर में बांध कर या लाठी से रगड़ कर या हाथों से रगड़ कर पोला कर दिया जाता है। उपज को आंशिक रूप से छाया में सुखाया, साफ और सुखाया जाता है। सुखाने के बाद, उपज को कागज के साथ पंक्तिबद्ध गनी बैग में रखा जाता है।
फसल की उपज
धानिया की पैदावार 400 से 500 किलोग्राम / हेक्टेयर के बीच वर्षा की औसत फसल के रूप में होती है, जबकि सिंचित फसल के लिए उपज 600 से 1200 किलोग्राम / हेक्टेयर के बीच होती है।
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