आणंद युनि. की अनुशंसित अनुसार फसल को बिना खर्च के कीटनाशकों से इस तरह से बचाया जा सकता है..

ट्रैप फसल ( पिंजर फसल) एक ऐसी फसल है जो मुख्य फसल के आसपास उगाई जाती हैजिस पर कीट लगते हैं। इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कीटों को जो फसल मिलती है उसे पिंजर की फसल के रूप में लगाया जा सकता है। जो उत्पादन के लिए नहीं बल्कि फसल कीटों से सुरक्षा के लिए हैं। मादा कीट इस पर अंडे देना पसंद करती है। पिंजर की फसल मुख्य फसल के साथ 3% जगह लगाकर लागत का 80% बचाती है। पिंजर फसलों के जैविक नियंत्रण से रासायनिक कीटाणुनाशक का कम उपयोग होता है। जिससे सीधी बचत होती है। जिसे प्रमुख फसलों के साथ या उसके बिना बोया जाता है। कुछ पौधे कुछ खास फसलें उगाना पसंद करते हैं। ऐसी फसलों को मुख्य कीटों से बचाने के लिए ट्रैप क्रॉप हेयर का उपयोग किया जाता है।

आनंद कृषि विश्वविद्यालय ने पिंजर की फसल के साथ प्रयोग करके ऐसी सिफारिश की है :

टमाटर और कपास : फसल के चारों ओर पीले फूल हज़रीगोटा की बुवाई करने से कई कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है। यदि हजारों वर्गों की दो पंक्तियों को चार बार या 10 हार के बाद किया जाता है, तो यह अच्छा है। जिस पर हरी ईल की मादा अंडे देना पसंद करती है। फूल को तोड़कर नष्ट कर दिया जाता है।

गोभी : गोभी की फसल के चारों ओर या 25 पंक्तियों के बीच राई की दो पंक्तियों को रोपने से राइजोम अपने आप निकल जाता है, जिससे मोलो का नियंत्रण है। गोभी के चारों ओर राई या असलिया लगाने से हरी ईलों (हिराकुडु) के संक्रमण को कम किया जा सकता है।

मूंगफली और मक्का : मकई और मूंगफली का मिश्रित बुआई करके परजीवी दलहन खेत में रहते हैं। जो कीड़े खाता है। मूंगफली को शेड पर सड़ने वाले कचरे को हटाकर नष्ट कर ईल कम कर दिया जाता है।

मूंगफली – सोयाबीन – हरी बिन्स : हरी बिन्स, मूंगफली, सोयाबीन की फसल के चारों कीटनाशकों के लिए शन उगाए जाते हैं।

कपास-मूंगफली : कपास और मूंगफली पत्ती के इलो कटाव को रोकने के लिए चारों ओर और बीच में दिवेला उगाए जाते हैं।

 

कपास : कपास की अंकुर की दो पंक्तियों के बीच भिंडी की बुआई करने से ईल कपास की फसल पे जाने की बजाई भिंडी पर आती है जो इसे नष्ट करती है।

तम्बाकू – कपास – मूंगफली : तम्बाकू का बड़ा पत्ता खाने वाला स्पोडोप्टेरा ईल दिवेला को बहुत पसंद करता है, इसलिए इसका चारे और वावेतर करके व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ईंल अंडे दिवेला के पत्ते पर बिछाते है और तंबाकू में इलो को आने देता नहीं है।

नींबू : पैंक्रिया नींबू वर्ग की फसलों में होता है। इसे रोकने के लिए टमाटर के पौधे लगाए जाते हैं।

मक्का : मक्का में पैदा होने वाली इलो को नष्ट करने के लिए नेपियर घास को मकई की फसलों पर या उसके आसपास उगाया जाता है।

ज्वार-बाजरा-मक्का : बारिश होते ही जमीन से करता निकलता है। जो एक बाड़ पर अंडे देते हैं। इससे निकलती छोटी ईलें कई फसलों पर आक्रमण करती हैं, जैसे घास और फिर मकई, सोरघम, बाजरा। इसलिए इसकी चारो तरफ शन बोएं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *